एवरेस्ट नाम कैसे पड़ा



 सन् 1852 में भारत सरकार के एक सर्वेक्षण दल ने संसार के इस सर्वोच्च पर्वत शिखर के सम्बन्ध में आवश्यक जानकारियां तथा सूचनाएं इकट्ठी कीं। सर्वेक्षण दल के एक बंगाली क्लर्क राधानाथ सिकदर ने इस पर्वत शिखर के सम्बन्ध में तत्कालीन सर्वेक्षक जनरल सर जॉर्ज एवरेस्ट को जानकारी दी। सिकदर ने इस पहाड़ी चोटी की ऊँचाई तथा उसकी स्थिति की भी खोजबीन की थी। सिकदर को तो कुछ नहीं मिला लेकिन काफी समय के बाद जब इस चोटी के नामकरण का सवाल पैदाहुआ वो सर जॉर्ज एवरेस्ट के नाम पर चोटी का नाम रख दिया गया।


शुरुआत में माउंट एवरेस्ट लोगों के लिए जिज्ञासा और आकर्षण का केन्द्र बिन्दु बना रहा। सन् 1921 में प्रथम बार इस चोटी तक पहुँचने के लिए इंग्लैंड से एक अनुसंधान दल रवाना हुआ मगर वह मामूली जानकारी ही प्राप्त कर सका। सन् 1922 में एवरेस्ट पर आरोहण की चुनौती स्वीकार की गयी। तत्पश्चात् अनेक बार एवरेस्ट पर चढ़ने की कोशिश की गयी मगर असफलता ही हाथ लगी। 29 मई सन् 1953 को पूर्वाहन साढ़े ग्यारह बजे न्यूजीलैंड के एडमंड हिलेरी तथा एक शेरपा तेनजिंग नॉर्गे एवरेस्ट पर आरोहण में सफल हो गये। इन पर्वतारोहियों का कथन था कि माउंट एवरेस्ट पर विजय पाना कोई हँसी खेल नहीं है। इसके बाद अनेक पर्वतारोही एवरेस्ट पर चढ़कर विजय पताका फहरा चुके हैं


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

फाग और स्मोक में अंतर

सुनहरे हंस

नेत्रहीन को पढ़ने के लिए लिपि