आओ जानते है गाजर की ताकत हमारे शरीर के लिए


👉         गजब का गाजर   👈




  गाजर   सर्दियां  का फल है । यह सर्व सुलम और गजब की पौष्टिक चीज है। यह जमीन के भीतर उगने वाली फसल है और इसका कद मूली के समान होता है। गाजर काले, लाल व भूरे रंग की होती है। संस्कृत में इसे गर्जर, गूंजन और पिंड मूल कहा जाता है।


गाजर की आयुर्वेद में भी काफी प्रशंररा की गई है। आयुर्वेद के अनुसार, गाजर मधुर तिक्त एवं रस-युक्त, उष्ण, अर्श, संग्रहणी, कफ तथा वात को नष्ट करने वाली होती है। इसमें पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन, लौह तत्व, विटामिन ए और 'डी, खनिज लवण, कैल्शियम आदि तत्व पाये जाते है। खासतौर पर विटामिन 'ए' की भरपूर उपस्थिति गाजर को नेत्र रोगों के वास्ते रामबाण औषधि बनाती है।


रासायनिक संरचना के मुताबिक प्रति सौ ग्राम गाजर में निम्नांकित तत्व पाये जाते हैं जल 80 ग्राम, प्रोटीन 0.9 ग्राम, वसा 0.10 ग्राम, खनिज लवण 1.10 ग्राम कार्बोहाइड्रेट 107 ग्राम, कैल्शियम 008 ग्राम तथा फास्फोरस 003 ग्राम। इसके अलावा, प्रति सी ग्राम गाजर से शरीर को 48 कैलोरी ऊर्जा मिलती है।


विटामिन ए की प्रयुरता गाजार में गाय, भैंस व बकरी के दूध से भी अधिक होती है। गाजर के सेवन से आँखों की रोशनी बढ़ती है। नियमित रूप से गाजर खाने वाले को कभी भी रतौंधी रोग नहीं होता।


रक्त कणों में वृद्धि, रक्त शुद्धि तथा शरीर की रोग प्रतिरोधक शकित को बनाए रखने में लौह रात्यका महत्वपूर्ण योगदान रहता है। यह हमें गाजर से पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होता है। गाजर में आयरन व फास्फोरस के अलावा प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट आदि तत्व मी पाये जाते हैं, जो शरीर को ऊर्जा प्रदान करते हैं। फास्फोरस और कैल्शियम शरीर की अस्थियों और दाँतों को मजबूती प्रदान करते हैं। सेब फल की अपेक्षा गाजर में कैल्शियम, आयरन, थाइमिन राइबोफ्लेविन न्यायसिन और केरोटिन तत्व अधिक मात्रा में पाये जाते हैं जो स्वास्थ्यवर्द्धक होने के साथ-साथ गाजर को सेव फल से अधिक उपयोगी बनाते है। सेब में गाजर के मुकाबले ऊर्जा (कैलारी) और फास्फोरस ही अधिक होता है।


खनिज पदार्थों की दृष्टि से भी गाजर का कोई सानी नहीं, इसमें खास खनिज पोटेशियम होने के साथ-साथ सोडियम, केल्शियम, मैग्नीशियम, क्लोरीन आदि भी उपलब्ध होते हैं। अतः खनिजों के अभाव वाले व्यक्तियों के लिए गाजर एक आदर्श टानिक है जो आँतों की सहन व गंदगी को दूर करता है।


गाजर में संतुलित आहार के समस्त गुण मौजूद है। यह अनिद्रा और थकान से मुक्ति दिलाती है। इसके अतिरिक्त गाजर का सेवन बच्चों को दूा पिलाने वाली माताओं के लिए दुग्धकर्षक होता है। गाजर के रस का सेवन पेट के कीड़ों को नष्ट करता है। नाक, कान व गले के रोगों में भी गाजर का उपयोग लाभदायी है। कब्ज, खून की खराबी, अपच और बच्चों की सामान्य कमजोरी आदि में मी गाजर का सेवन उपयोगी साबित होता है।


आयुर्वेद के अनुसार, गाजर शरीर के दूषित रक्त को साफ करती है। यह शरीर की अनावश्यक गर्मी को शान्त करती है। कच्ची गाजर का रस रोग निवारक तृप्तिदायक, पौष्टिक और स्वादिष्ट पेय है।


गाजर को कच्चा खाना अधिक लाभदायक है क्योंकि पकाने से उसके अनेक पौष्टिक तत्व नष्ट होजाते है। जहीं तक मुमकिन हो सके, गाजर को सुबह के समय खाइए और दौतों से अच्छी तरह से चबाकर खाइए। गाजर को चबाकर खाने से दाँतों का भी अच्छा व्यायाम हो जाता है और वे मजबूत होते हैं।


गाजर पीलिया की प्राकृतिक औषधि है। यूरोप में पीलिया के रोगियों को गाजर का रस, गाजर का सूप अथवा गाजर का गर्म काढा देने का रिवाज है। गाजर का रस सन्धिवात (गठिया) को ठीक करता है। गाजर की गर्न पुल्टिस बाँध देने से फोड़े-फुसियों में लाभ होता है। यह फोसे-फुंसियों के जमे हुए रक्त को पिघला देती है।


100 ग्राम गाजर का रस प्रतिदिन पीने से मसूढे और दाँतों में रोग पैदा नहीं होते व दौतों की जड़े मजबूत होती है। कच्ची गाजर को पीसकर आग से जले हुए स्थान पर लगाने से जलन कम होती है व फफोले भी नहीं पड़ते।


गाजर के चिकित्सकीय उपयोगों के अलावा इसके व्यंजन भी खाने में स्वादिष्ट व पौष्टिक होते हैं। गाजर के सूप, सलाद, हलवा, खीर, मुरब्बा, बर्फी आदि व्यंजन बनाए जाते हैं, जिन्हें लोग चाव से खाते है। कुल मिलाकर यह एक स्वादिष्ट रुविकर व स्वास्थ्यवर्धक फल है।

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