नेत्रहीन को पढ़ने के लिए लिपि
दोस्तों क्या आप सबको पता है कि नेत्रहीन को पढ़ने के लिए लिपि किसने खोज किया आइए जानते हैंलुई ब्रेल ने स्वयं अन्धे होते हुए भी विश्वभर के नेत्रहीनों को नेत्रवालों के समान शिक्षित होने के लिए एक साधन जुटाया। उन्होंने एक ऐसी लिपि का आविष्कार किया, जिसके उभरे हुए अक्षरों को छूकर नेत्रहीन साक्षर हो सकते हैं। इसे ही 'ब्रेल लिपि' कहा जाता है।
लुई ब्रेल का जन्म 1809 में फ्रांस में हुआ था । उनके पिता पेरिस में चमड़े का सामान बनाते थे। बालक ब्रेल ने एक दिन खेलते हुए चमड़ा सीने का औजार आँख में मार लिया। एक आँख जाने के बाद कुछ दिनों बाद दूसरी आँख भी खराब हो गई। बालक ब्रेल पाँच वर्ष की आयु में अन्धा हो गया। पिता ने उसे दृष्टिहीनों के स्कूल में दाखिल करवा दिया। एक अवकाश प्राप्त सैनिक ने कागज पर उभरे बिन्दुओं से पढ़ना सिखाया। ब्रेल को उस लिपि में कुछ कमियां लगीं। उसने कुछ वर्षों के श्रम से एक नई उभरी हुई लिपि का आविष्कार किया, जिसे दृष्टिहीन पड़ सकते हैं। आज इस लिपि में अनेक पुस्तकें भी छप चुकी हैं। ब्रेल ने स्वयं दृष्टिहीन होते हुए भी दृष्टिहीनों को जीवन में सफल होने का मार्ग दिखाया।
ब्रेल लिपि से नेत्रहीन लोगों को शिक्षित करने के लिए विश्वभर में हजारों स्कूल खोले गए हैं। इस लोकोपयोगी देन के लिए मानव समाज सदैव ब्रेल का ऋणी रहेगा।
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